Operation Bluestar

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Operation Bluestar भारतीय सेना द्वारा जून 1984 में पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर से जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व वाले सिख उग्रवादियों को हटाने के लिए चलाया गया एक सैन्य अभियान था। ऑपरेशन की योजना बनाई और पंजाब में बढ़ते विद्रोह के जवाब में भारत सरकार द्वारा निष्पादित किया गया था, जिसने एक अलग सिख राज्य स्थापित करने की मांग की थी। ऑपरेशन के परिणामस्वरूप जीवन की महत्वपूर्ण हानि हुई और स्वर्ण मंदिर को नुकसान हुआ, और यह भारत के हाल के इतिहास में सबसे विवादास्पद घटनाओं में से एक है।

Background Of Operation Bluestar

खालिस्तान आंदोलन, जिसने खालिस्तान नामक एक स्वतंत्र सिख राज्य बनाने की मांग की, 1970 के दशक से पंजाब में जोर पकड़ रहा था। आंदोलन को इस धारणा से हवा मिली थी कि भारत सरकार द्वारा सिखों के साथ भेदभाव किया जा रहा था, जिसमें हिंदू बहुसंख्यकों का वर्चस्व था। आंदोलन को धार्मिक पादरियों और उग्रवादी समूहों सहित सिख समुदाय के विभिन्न वर्गों का समर्थन प्राप्त हुआ।

एक करिश्माई उपदेशक और उग्रवादी नेता, जरनैल सिंह भिंडरावाले, 1980 के दशक की शुरुआत में खालिस्तान आंदोलन के चेहरे के रूप में उभरे। उन्होंने स्वर्ण मंदिर परिसर के अंदर एक आधार स्थापित किया और इसका इस्तेमाल उग्रवादियों की भर्ती और प्रशिक्षण के लिए किया, और सरकारी ठिकानों पर हमले शुरू किए। प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के अधीन भारत सरकार ने शुरू में भिंडरावाले और उनके अनुयायियों के साथ बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन अंततः उन्हें स्वर्ण मंदिर परिसर से हटाने के लिए सैन्य बल का उपयोग करने का फैसला किया।

Operation Bluestar

Planning Of Operation Bluestar

ऑपरेशन ब्लूस्टार की योजना 1984 की शुरुआत में शुरू हुई, और इसमें सेना, खुफिया और प्रधान मंत्री कार्यालय सहित कई सरकारी एजेंसियां ​​शामिल थीं। भारतीय सेना को ऑपरेशन करने का काम सौंपा गया था, और स्वर्ण मंदिर परिसर को घेरने और सुरक्षित करने के लिए पैदल सेना, तोपखाने और टैंकों के संयोजन का उपयोग करने के लिए एक योजना तैयार की गई थी।

ऑपरेशन की शुरुआत अप्रैल 1984 के लिए की गई थी, लेकिन राजनीतिक और तार्किक कारणों से इसे स्थगित कर दिया गया था। ऑपरेशन को जून 1984 के लिए पुनर्निर्धारित किया गया था, और सेना को ऑपरेशन के साथ आगे बढ़ने के लिए हरी बत्ती दी गई थी।

Operation Bluestar कब हुआ था?

Operation Bluestar

3 जून 1984 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लूस्टार लॉन्च किया। ऑपरेशन में स्वर्ण मंदिर परिसर के चारों ओर हजारों सैनिकों और सैकड़ों टैंकों और तोपों के साथ बल का एक विशाल प्रदर्शन शामिल था। ऑपरेशन एक त्वरित और सर्जिकल स्ट्राइक होना था, लेकिन जल्द ही यह एक लंबी और खूनी लड़ाई में बदल गया।

उग्रवादियों ने खुद को परिसर के अंदर मजबूत कर लिया था, और उन्होंने सेना के हमले का कड़ा प्रतिरोध किया। सेना ने टैंक के गोले और तोपखाने सहित भारी गोलाबारी का जवाब दिया, जिससे परिसर को काफी नुकसान हुआ। ऑपरेशन को सैन्य और नागरिक सरकार के बीच समन्वय और संचार की कमी के रूप में भी चिह्नित किया गया था, जिससे निर्णय लेने में भ्रम और देरी हुई।

लड़ाई कई दिनों तक जारी रही, और इसके परिणामस्वरूप आतंकवादियों, नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों सहित सैकड़ों लोगों की मौत हुई। सेना ने अंततः परिसर को सुरक्षित कर लिया, लेकिन नुकसान पहले ही हो चुका था। अकाल तख्त, परिसर के अंदर एक महत्वपूर्ण धार्मिक संस्थान, नष्ट कर दिया गया था, और स्वयं स्वर्ण मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था।

Consequences Of Operation Bluestar

ऑपरेशन ब्लूस्टार के परिणाम पंजाब और भारत के अन्य हिस्सों में विरोध और हिंसा द्वारा चिह्नित किए गए थे। सिख समुदाय ने स्वर्ण मंदिर, जिसे वे एक पवित्र स्थल मानते थे, पर सेना के छापे से बहुत आहत और क्रोधित महसूस किया। संवेदनशीलता की कमी और सिख समुदाय की शिकायतों को दूर करने में विफलता के लिए सरकार की स्थिति को संभालने की भी आलोचना की गई।

1.जीवन की हानि और स्वर्ण मंदिर को नुकसान: ऑपरेशन ब्लूस्टार के परिणामस्वरूप उग्रवादियों, नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों सहित सैकड़ों लोगों की मौत हुई। अकाल तख्त, स्वर्ण मंदिर परिसर के अंदर एक महत्वपूर्ण धार्मिक संस्थान, नष्ट कर दिया गया था, और स्वयं स्वर्ण मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था। इससे स्वर्ण माने जाने वाले सिख समुदाय में गहरी चोट और गुस्सा था।

2.सिख अलगाववादी आंदोलन का बिगड़ना: ऑपरेशन ब्लूस्टार ने पंजाब के साथ-साथ भारत के अन्य हिस्सों में हिंसा और आतंकवाद में उल्लेखनीय वृद्धि की। स्वर्ण मंदिर पर सेना के छापे से सिख समुदाय को गहरा दुख हुआ, और इसने खालिस्तान नामक एक अलग सिख राज्य की मांग को और हवा दी।

3.प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हत्या: अक्टूबर 1984 में, ऑपरेशन ब्लूस्टार के प्रतिशोध में प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी। इसके कारण पूरे भारत में बड़े पैमाने पर सिख विरोधी दंगे हुए, जिसके परिणामस्वरूप हजारों सिखों की मौत हुई।

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4.सिखों और भारत सरकार के बीच तनावपूर्ण संबंध: ऑपरेशन ब्लूस्टार और उसके परिणाम ने सिख समुदाय और भारत सरकार के बीच एक गहरी दरार पैदा कर दी। सिख समुदाय ने महसूस किया कि उनके धार्मिक और राजनीतिक अधिकारों की अनदेखी की जा रही है और इससे दोनों पक्षों के बीच विश्वास टूट गया।

5.भारतीय राजनीति पर प्रभाव: ऑपरेशन ब्लूस्टार के भारत के लिए महत्वपूर्ण राजनीतिक परिणाम थे। इसने देश को धार्मिक और सांप्रदायिक आधार पर और अधिक ध्रुवीकृत कर दिया, और इसके कारण सिख उग्रवाद और उग्रवाद में वृद्धि हुई। इस घटना का गांधी परिवार के राजनीतिक भाग्य पर भी स्थायी प्रभाव पड़ा, क्योंकि इसे 1980 के दशक के अंत में प्रधान मंत्री के रूप में इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी के पतन के एक प्रमुख कारक के रूप में देखा गया था।

अंत में, ऑपरेशन ब्लूस्टार भारतीय इतिहास में एक गहरी विभाजनकारी घटना थी, और इसके परिणाम आज भी महसूस किए जा रहे हैं। यह सिखों और भारतीय राज्य के बीच जटिल और अक्सर अशांत संबंधों का एक शक्तिशाली प्रतीक बना हुआ है।

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