बौद्ध संगीति किसे कहते हे?

बौद्ध संगीति किसे कहते हे?

बौद्ध संगीति किसे कहेतै है ?

महात्मा बुद्ध के परिनिर्वाण के अल्प समय के पश्चात से ही उनके उपदेशों को संगृहीत करने, उनका पाठ (वाचन) करने आदि के उद्देश्य से संगीति (सम्मेलन) की प्रथा चल पड़ी। इन्हें धम्म संगीति (धर्म संगीति) कहा जाता है। संगीति का अर्थ है ‘साथ-साथ गाना’।

बौद्ध संगीति करने का कारण :

भगवान बौद्ध के परिनिर्वाण के बाद बुद्ध धर्म के अनुयायी यो के प्रश्नों का समाधान हेतु , बौद्ध धर्मं को अधिक फेलाने और भगवान बुद्ध द्वारा दिए गए उपदेशो को लिखने के लिए बौद्ध संगीति बुलाइ जाती थी.

कभी कभी इसका मकसद अनुयायी यो के बिच हुए मतभेद का निवारण लाना.

अभी तक कुल ६ बौद्ध संगीति बुलाए गई है. इनमे से ४ प्राचीन समय और २ आधुनिक समय में बुलाई गई है.

::बौद्ध संगीति की क्रम वर जानकारी ::

क्रमस्थानसमयराजा का नामअध्यक्ष परिणाम
राजगृह के सप्तपूर्णि गुफा483 ई.पू. मेंअजातशत्रु” के संरक्षण मेंमहाकस्सप उपलिइस संगीति के दौरान बुद्ध की शिक्षाओं को (सुत्तपिटक) और शिष्यों के लिए निर्धारित नियमों को (विनयपिटक) में संरक्षित किया गया था। बुद्ध के शिष्य “आनन्द” ने सुत्तपिटक का और “उपालि” ने विनयपिटक का संकलन किया था
वैशाली383 ई.पू. शिशुनाग वंश के शासक “कालाशोक” के संरक्षण मेंअध्यक्ष सब्ब्कामिविनयपिटक और अनुशासन के नियमों में विवाद के कारण इस संगीति के दौरान बौद्ध धर्म “स्थाविर” और “महासंघिक” नामक दो गुटों में बंट गया|
 पाटलिपुत्र249 ई.पू. मेंअशोकमोगालिपुत्र  इस संगीति में त्रिपिटक को अन्तिम रूप प्रदान किया गया। यदि इसे सही मान लिया जाए कि अशोक ने अपना सारनाथ वाला स्तम्भ लेख इस संगीति के बाद उत्कीर्ण कराया
कश्मीर (कुंडलवन)(लगभग 120-144 ई.कनिष्क वसुमित्र एवं उपाध्यक्ष
अश्वघोस
इसी संगीति में बौध धर्म  दो शाखाओं- हीनयान और महायान में विभाजित हो गया। हुएनसांग के मतानुसार सम्राट कनिष्क की संरक्षता तथा आदेशानुसार इस संगीति में 500
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