कैलाश पर्वत के रोचक, तथ्य क्यों आज तक कोई चढ़ नई पाया ?
कैलाश पर्वत चार महान नदियों सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलज और कर्णाली या घाघरा का उद्गम स्थल है.
कैलाश पर्वत के पास मानसरोवर झील के पिघलने पर मृदंग की आवाज आती है
कैलाश पर्वत के पास मानसरोवर झील के पिघलने पर मृदंग की आवाज आती है
कैलाश पर्वत पर समय तेजी से बीतता है. वहां जाने वाले यात्रियों और वैज्ञानिकों ने अपने बाल और नाखूनों की तेजी से बढ़ते हुए देखा है
कैलाश पर्वत पर समय तेजी से बीतता है. वहां जाने वाले यात्रियों और वैज्ञानिकों ने अपने बाल और नाखूनों की तेजी से बढ़ते हुए देखा है
इस पवित्र पर्वत की ऊंचाई 6714 मीटर है. इसके चोटी की आकृति विराट शिवलिंग की तरह है.
इस पवित्र पर्वत की ऊंचाई 6714 मीटर है. इसके चोटी की आकृति विराट शिवलिंग की तरह है.
कैलाश पर्वत पर चढना निषिद्ध माना जाता है परन्तु 11 सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर चढाई की थी.
कैलाश पर्वत पर चढना निषिद्ध माना जाता है परन्तु 11 सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर चढाई की थी.
लोगों को ऐसा महसूस होता है कि कैलाश पर्वत की चोटी पर चढ़ने के दौरान वे अपने रास्ते से भटक जाते थे
लोगों को ऐसा महसूस होता है कि कैलाश पर्वत की चोटी पर चढ़ने के दौरान वे अपने रास्ते से भटक जाते थे
कैलाश पर्वत के ठंडे पहाड़ों पर जब सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें पड़ती है तो विशाल स्वास्तिक की आकृति बनती है,
कैलाश पर्वत के ठंडे पहाड़ों पर जब सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें पड़ती है तो विशाल स्वास्तिक की आकृति बनती है,
ऐसा कहा जाता है की कैलाश पर्वत के ठीक नीचे मृत्यलोक स्थित है, जिसकी बाहरी परिधि 52 किमी है.
ऐसा कहा जाता है की कैलाश पर्वत के ठीक नीचे मृत्यलोक स्थित है, जिसकी बाहरी परिधि 52 किमी है.